विशेषताओं को इस प्रकार वर्णित किया गया है ‘राष्ट्रीय जल मिशन इस प्रकार आयोजित किया जाएगा ताकि जल संरक्षण, जल के अपव्यय को कम करने, और राज्यों तथा राज्यों के बीच जल का अधिक समीकृत वितरण सुनिश्चित करने हेतु समेकित जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके। यह मिशन राष्ट्रीय जल नीति के प्रावधानों का ध्यान रखेगा और विभिन्न पात्रता और मू ल्य के साथ नियामक तंत्रों के माध्यम से 20 प्रतिशत तक जल उपयोग कुशलता को बढ़ाकर जल के अनुकूलतम प्रयोग हेतु एक ढांचा तैयार करेगा। यह भी अपेक्षा की जाती है कि यह अपशिष्ट जल के पुनरूपयोग /पुनर्चक्रण के माध्यम से शहरी क्षेत्रों की जल की आवश्यकताओं का उपयुक्त भाग सुनिश्चित करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि जल के उपयुक्त वैकल्पिक स्रोतों सहित तटीय शहरों की अपेक्षाओं को उन निम्न ताप विलवणीकरण प्रौद्योगिकियों जिन से समुद्र के जल का उपयोग हो सके जैसी नई और उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को अपनाकर पूरा किया जा सके। इसके अलावा, प्रधान मंत्री ने जनवरी 2015 में पीएमसीसीसी में यह निर्देश दिया है की सतही जल एवं भूजल के साथ-साथ अपशिष्ट जल आयाम (डाइमैन्शन) को भी राष्ट्रीय जल मिशन के शासनादेश (मंडेट) में शामिल किया जाये जिससे की जल प्रबंधन की एक समेकित योजना बने।
राष्ट्रीय जल मिशन के उद्देश्य
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